Monday, December 30, 2019

झारखंड चुनाव नतीजे: शिबू सोरेन की विरासत के वारिस हैं हेमंत सोरेन

तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय के वकील ए.पी. सिंह का कहना है कि उनके तीनों मुवक्किल ग़रीब परिवारों से आते हैं इसलिए उन्हें कम सज़ा दी जानी चाहिए और उन्हें सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ''मेरे सभी मुवक्किलों को सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए. वो ग़रीब हैं और उन्हें एक मौक़ा मिलना चाहिए कि वो भी देश के अच्छे नागरिक के तौर पर ख़ुद को साबित कर सकें.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चारों अपराधी, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय ने मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में इन सभी को मौत की सज़ा देने पर मंज़ूरी दी गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले 13 सितंबर 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों की सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद तीन दोषियों पवन, विनय और मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उस समय जिस बेंच ने वह पुनर्विचार याचिका ख़ारिज की थी उसके अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा थे. उन्होंने इस घटना को 'सदमे की सुनामी' बताया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अपने लंबे चौड़े फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपराधियों के बर्ताव को जानवरों जैसा बताया था और कहा था कि ऐसा लगता है कि ये पूरा मामला ही किसी दूसरी दुनिया में घटित हुआ जहां मानवता के साथ बर्बरता की जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली में 23 साल की एक मेडिकल छात्रा के साथ छह पुरुषों ने एक चलती बस में गैंगरेप किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चार दोषियों के अलावा एक प्रमुख आरोपी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी.

एक अन्य अपराधी जो घटना के वक़्त नाबालिग़ साबित हुआ था, उसे सुधारगृह भेजा गया था. साल 2015 में उसे सुधारगृह से रिहा कर दिया गया था. इस अपराधी का नाम ज़ाहिर नहीं किया जा सकता. इसे अगस्त 2013 में तीन साल सुधारगृह में बिताने की सज़ा सुनाई गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब यह अपराधी व्यस्क हो चुका है, लेकिन तय नियमों के अनुसार उन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है. अब वो एक चैरिटी संस्था के साथ है क्योंकि बाहर उन्हें सुरक्षा का ख़तरा बना हुआ है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया मामले के चारों दोषियों का केस अब लगभग पूरा होने वाला है. इन चारों पर गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा, ''हम दोषी साबित हो चुके अक्षय कुमार की याचिका ख़ारिज करते हैं. उनकी याचिका पर दोबारा विचार करने जैसा कुछ नहीं है.'' इस पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना भी थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब इन चार दोषियों अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक महीने के भीतर अपनी-अपनी क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी. चारों दोषियों के पास यह अंतिम क़ानूनी सहारा बचा है. इसके बाद उनके पास एक संवैधानिक सहारा बचेगा और वह है राष्ट्रपति के पास दया याचिका का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत में क़ानून के बड़े जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि इस मामले के चारों दोषियों को जल्दी ही फांसी हो जाएगी. इन चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है और अब क्यूरेटिव और दया याचिका ही दो अंतिम विकल्प बाकी बचे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

माना जा रहा है कि इन दोनों रास्तों पर भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि इस घटना को बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है. निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन कहते हैं, ''यह माना जा रहा है कि आने वाले तीन-चार महीनों में इन चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

परासरन ने बीबीसी से कहा, ''उन्हें जल्दी ही फांसी की सज़ा हो जाएगी. क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है. मेरे ख़याल से इस पूरे मामले में हुई बर्बरता को देखते हुए उनकी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पर भी ग़ौर नहीं किया जाएगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.सी. कौशिक का भी मानना है कि आने वाले दो तीन महीनों में दोषियों को फांसी दे दी जाएगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''मेरे विचार से क्यूरेटिव और दया याचिका दोनों ही ख़ारिज हो जाएंगी. यह मामला बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में है. इस मामले के दोषियों के पास जो भी क़ानूनी और संवैधानिक विकल्प हैं वो दो-तीन महीनों में समाप्त हो जाएंगे.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कौशिक यह भी कहते हैं कि अब इस मामले में दो-तीन महीने से ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.

बीबीसी के साथ बातचीत में वो कहते हैं, ''जैसे कि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसके बाद उनकी क्यूरेटिव और दया याचिका भी ख़ारिज हो सकती है तो ऐसे में सभी दोषियों को फांसी मिलने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आपराधिक मामलों के वकील विकास पाहवा कहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द एक बेहतर और तर्कपूर्ण अंत होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''एक तयशुदा वक़्त यानी दो-तीन महीने में सभी क़ानूनी विकल्प पूरे हो जाएंगे और इसके बाद दोषियों को फांसी निश्चित हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय के वकील ए.पी. सिंह का कहना है कि उनके तीनों मुवक्किल ग़रीब परिवारों से आते हैं इसलिए उन्हें कम सज़ा दी जानी चाहिए और उन्हें सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए.

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ''मेरे सभी मुवक्किलों को सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए. वो ग़रीब हैं और उन्हें एक मौक़ा मिलना चाहिए कि वो भी देश के अच्छे नागरिक के तौर पर ख़ुद को साबित कर सकें.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चारों अपराधी, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय ने मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में इन सभी को मौत की सज़ा देने पर मंज़ूरी दी गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले 13 सितंबर 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों की सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद तीन दोषियों पवन, विनय और मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उस समय जिस बेंच ने वह पुनर्विचार याचिका ख़ारिज की थी उसके अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा थे. उन्होंने इस घटना को 'सदमे की सुनामी' बताया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अपने लंबे चौड़े फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपराधियों के बर्ताव को जानवरों जैसा बताया था और कहा था कि ऐसा लगता है कि ये पूरा मामला ही किसी दूसरी दुनिया में घटित हुआ जहां मानवता के साथ बर्बरता की जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली में 23 साल की एक मेडिकल छात्रा के साथ छह पुरुषों ने एक चलती बस में गैंगरेप किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चार दोषियों के अलावा एक प्रमुख आरोपी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी.

एक अन्य अपराधी जो घटना के वक़्त नाबालिग़ साबित हुआ था, उसे सुधारगृह भेजा गया था. साल 2015 में उसे सुधारगृह से रिहा कर दिया गया था. इस अपराधी का नाम ज़ाहिर नहीं किया जा सकता. इसे अगस्त 2013 में तीन साल सुधारगृह में बिताने की सज़ा सुनाई गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब यह अपराधी व्यस्क हो चुका है, लेकिन तय नियमों के अनुसार उन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है. अब वो एक चैरिटी संस्था के साथ है क्योंकि बाहर उन्हें सुरक्षा का ख़तरा बना हुआ है.

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया मामले के चारों दोषियों का केस अब लगभग पूरा होने वाला है. इन चारों पर गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा, ''हम दोषी साबित हो चुके अक्षय कुमार की याचिका ख़ारिज करते हैं. उनकी याचिका पर दोबारा विचार करने जैसा कुछ नहीं है.'' इस पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना भी थे.

अब इन चार दो अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक मषियों अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक महीने के भीतर अपनी-अपनी क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी. चारों दोषियों के पास यह अंतिम क़ानूनी सहारा बचा है. इसके बाद उनके पास एक संवैधानिक सहारा बचेगा और वह है राष्ट्रपति के पास दया याचिका का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत में क़ानून के बड़े जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि इस मामले के चारों दोषियों को जल्दी ही फांसी हो जाएगी. इन चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है और अब क्यूरेटिव और दया याचिका ही दो अंतिम विकल्प बाकी बचे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

माना जा रहा है कि इन दोनों रास्तों पर भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि इस घटना को बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है. निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन कहते हैं, ''यह माना जा रहा है कि आने वाले तीन-चार महीनों में इन चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

परासरन ने बीबीसी से कहा, ''उन्हें जल्दी ही फांसी की सज़ा हो जाएगी. क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है. मेरे ख़याल से इस पूरे मामले में हुई बर्बरता को देखते हुए उनकी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पर भी ग़ौर नहीं किया जाएगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.सी. कौशिक का भी मानना है कि आने वाले दो तीन महीनों में दोषियों को फांसी दे दी जाएगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''मेरे विचार से क्यूरेटिव और दया याचिका दोनों ही ख़ारिज हो जाएंगी. यह मामला बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में है. इस मामले के दोषियों के पास जो भी क़ानूनी और संवैधानिक विकल्प हैं वो दो-तीन महीनों में समाप्त हो जाएंगे.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कौशिक यह भी कहते हैं कि अब इस मामले में दो-तीन महीने से ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी के साथ बातचीत में वो कहते हैं, ''जैसे कि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसके बाद उनकी क्यूरेटिव और दया याचिका भी ख़ारिज हो सकती है तो ऐसे में सभी दोषियों को फांसी मिलने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आपराधिक मामलों के वकील विकास पाहवा कहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द एक बेहतर और तर्कपूर्ण अंत होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह


अब इन चार दोषियों अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक महीने के भीतर अपनी-अपनी क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी. चारों दोषियों के पास यह अंतिम क़ानूनी सहारा बचा है. इसके बाद उनके पास एक संवैधानिक सहारा बचेगा और वह है राष्ट्रपति के पास दया याचिका का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत में क़ानून के बड़े जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि इस मामले के चारों दोषियों को जल्दी ही फांसी हो जाएगी. इन चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है और अब क्यूरेटिव और दया याचिका ही दो अंतिम विकल्प बाकी बचे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

माना जा रहा है कि इन दोनों रास्तों पर भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि इस घटना को बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है. निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन कहते हैं, ''यह माना जा रहा है कि आने वाले तीन-चार महीनों में इन चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

परासरन ने बीबीसी से कहा, ''उन्हें जल्दी ही फांसी की सज़ा हो जाएगी. क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है. मेरे ख़याल से इस पूरे मामले में हुई बर्बरता को देखते हुए उनकी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पर भी ग़ौर नहीं किया जाएगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.सी. कौशिक का भी मानना है कि आने वाले दो तीन महीनों में दोषियों को फांसी दे दी जाएगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''मेरे विचार से क्यूरेटिव और दया याचिका दोनों ही ख़ारिज हो जाएंगी. यह मामला बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में है. इस मामले के दोषियों के पास जो भी क़ानूनी और संवैधानिक विकल्प हैं वो दो-तीन महीनों में समाप्त हो जाएंगे.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कौशिक यह भी कहते हैं कि अब इस मामले में दो-तीन महीने से ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.

बीबीसी के साथ बातचीत में वो कहते हैं, ''जैसे कि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसके बाद उनकी क्यूरेटिव और दया याचिका भी ख़ारिज हो सकती है तो ऐसे में सभी दोषियों को फांसी मिलने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आपराधिक मामलों के वकील विकास पाहवा कहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द एक बेहतर और तर्कपूर्ण अंत होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''एक तयशुदा वक़्त यानी दो-तीन महीने में सभी क़ानूनी विकल्प पूरे हो जाएंगे और इसके बाद दोषियों को फांसी निश्चित हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय के वकील ए.पी. सिंह का कहना है कि उनके तीनों मुवक्किल ग़रीब परिवारों से आते हैं इसलिए उन्हें कम सज़ा दी जानी चाहिए और उन्हें सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए.

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ''मेरे सभी मुवक्किलों को सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए. वो ग़रीब हैं और उन्हें एक मौक़ा मिलना चाहिए कि वो भी देश के अच्छे नागरिक के तौर पर ख़ुद को साबित कर सकें.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चारों अपराधी, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय ने मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में इन सभी को मौत की सज़ा देने पर मंज़ूरी दी गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले 13 सितंबर 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों की सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद तीन दोषियों पवन, विनय और मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उस समय जिस बेंच ने वह पुनर्विचार याचिका ख़ारिज की थी उसके अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा थे. उन्होंने इस घटना को 'सदमे की सुनामी' बताया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अपने लंबे चौड़े फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपराधियों के बर्ताव को जानवरों जैसा बताया था और कहा था कि ऐसा लगता है कि ये पूरा मामला ही किसी दूसरी दुनिया में घटित हुआ जहां मानवता के साथ बर्बरता की जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

Thursday, December 19, 2019

CAA पर चीन ने कहा, आपका देश, आप समझिएः पाँच बड़ी ख़बरें

भारत में चीन के उपराजदूत ज़ा लिउ ने कहा है कि नागरिकता क़ानून भारत का अंदरुनी मसला है और इसे भारत ही सुलझा सकता है.

कोलकाता में चीन के कौन्सुल जेनरल ने वहाँ पत्रकारों से कहा, "ये भारत का अंदरुनी मामला है, हमें इस पर कुछ नहीं कहना, ये आपका देश है, और आपके मु्द्दों को आपको ही सुलझाना पड़ेगा."

भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई थी और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त के कार्यालय ने इसे "मौलिक रूप से भेदभावपूर्ण" बताया था.

मगर चीन ने इस मुद्दे पर अभी तक कुछ आलोचनात्मक नहीं कहा है.

हालाँकि चीन कश्मीर से अनुच्छेद 370 को बेअसर किए जाने को लेकर खुलकर अपनी राय जताता रहा है.

उसने इस सप्ताह भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे पर बंद कमरे में बहस करवाने का प्रस्ताव रखा था मगर दूसरे देशों का समर्थन नहीं मिलने के बाद उन्होंने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया.

एलओसी पर कभी भी बिगड़ सकते हैं हालातः सेना प्रमुख

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा पर हालात कभी भी ख़राब हो सकते हैं.

जनरल रावत ने बुधवार को कहा कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा,"सीमा पर स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है, लेकिन हम पूरी ताकत के साथ जवाब देने के लिए तैयार हैं.''

सेना प्रमुख रावत 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उनके बाद भारतीय सेना की कमान लेफ़्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे संभालेंगे.

लेफ़्ट पार्टियों का आज भारत बंद का आह्वान

नागरिकता क़ानून के विरोध में वामपंथी पार्टियों और मुस्लिम संगठनों ने गुरुवार को भारत बंद का आह्वान किया है.

सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई (एमएल), फ़ॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि इस दौरान देश भर में विरोध प्रदर्शन किए जाएँगे.

इस विरोध को कई विपक्षी दलों ने भी समर्थन देने का एलान किया है.

उत्तर प्रदेश, बेंगलुरु और मेंगलुरु में प्रशासन ने किसी भी गड़बड़ी की आशंका को दखते हुए धारा 144 लागू कर दी है.

कर्नाटक के कई ज़िलों में स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी का भी एलान कर दिया गया है.

उत्तर भारत के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही जिससे जनजीवन पर असर पड़ रहा है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने अचानक से आई शीतलहर के कारण शुक्रवार 20 दिसंबर तक सभी स्कूलों को बंद रखे जाने का आदेश दिया है.

उत्तराखंड, पंजाब, हरियाण और कश्मीर के ज़्यादातार इलाक़ों में घने कोहरे की वजह से रेल, सड़क और विमान सेवाएँ प्रभावित हो रही हैं.

राजधानी दिल्ली में गुरुवार सुबह तापमान 8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग चलाए जाने को लेकर अमरीकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में मतदान हो रहा है.

ऐसा समझा जा रहा है कि ट्रंप ऐसे तीसरे अमरीकी राष्ट्रपति बन जाएँगे जिनके ख़िलाफ़ महाभियोग की कार्रवाई होगी.

रिपब्लिकन राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ महाभियोग के दो आरोप लाए गए हैं जिनपर उनके विरोधी डेमोक्रेट मंज़ूरी देने वाले हैं.

इसके बाद अगले महीने ये मामला संसद के ऊपरी सदन में जाएगा मगर सेनेट पर रिपब्लिकन सांसदों का नियंत्रण है.

ऐसे में इस बात की संभावना बहुत कम है कि राष्ट्रपति ट्रंप को उनके पद से हटाया जा सकेगा.

Wednesday, December 4, 2019

杨恒均案律师指其与外界隔离:澳洲外长称“无法接受”

澳籍华人、时政评论人杨恒均自今年1月起遭中国当局关押,其律师称目前杨恒均与外界隔离的情况愈发严重。

澳大利亚外交部长玛丽斯·佩恩(Marise Payne)周一(12月2日)发声明称,杨恒均与家人交流受限,每日还要戴着镣铐受审,他的情况让人“无法接受”。

今年1月,杨恒均与妻子袁瑞娟及小孩从纽约飞往中国。他们先到了广州,随后转机前往上海。不过袁瑞娟和其儿子登上了飞机,杨恒均遭中国当局拘押。

中国外交部发言人耿爽8月27日证实,北京市国安局以涉嫌间谍犯罪依法逮捕澳洲籍华人杨军,案件目前正在进一步办理当中。

澳大利亚广播公司报道,杨恒均的律师斯塔里(Rob Stary)称,杨恒均被拘押期间戴着镣铐,并称中国似乎想要杨恒均完全与外界隔离。

“无法传递一句支持的话,包括每个月他的直系亲属的多封信件。”斯塔里说。

“我们特别担心他与家人与亲近朋友之间能否接触,例如,当局不允许他接收任何私人信件或有其他交流,他与外界隔离的情况更加严重,我们很担心。”

澳大利亚外交部长佩恩周一发声明称,非常关注最近关于杨恒均的报道。

佩恩称:“他被拘留的现况是,与外界越来越隔绝,与家人和朋友的交流受到限制,每天有审讯,还要戴着镣铐。这让人无法接受。”

佩恩还称,曾多次要求中国当局解释有关杨恒均的罪名,也要求中国按照国际准则向他提供基本司法、程序公平和人道待遇,包括会见律师和家人,但中国当局都未允许。

澳大利亚广播公司引述“人权观察”澳大利亚部主任皮尔森(Elaine Pearson)称,澳大利亚释放更多外交压力也许对案件有帮助。

“我认为最近关于杨恒均待遇的披露十分可怕:他戴着镣铐,每天都要接受审讯,似乎他受到了特别严厉的对待,目的是为了有效击垮他,迫使他认罪。”

“我们看到其他外国人被中国当成人质,所以我认为澳大利亚政府应当与其他政府建立联盟,我认为这最终将是最有效的施压方式。”

杨恒均的好友、悉尼科技大学中国研究中心副教授冯崇义对BBC中文表示,杨恒均的家人十分担心其健康状况,看守所称他患有肾脏、前列腺严重病症,也有高血压,每天让他服用9粒药丸。

冯崇义称,中国当局刻意延长其拘押时间,他相信澳大利亚外交部长的声明会对杨恒均有所帮助。

冯崇义说,他对杨恒均“知根知底”,杨并未像中国当局指控的那样为任何外国间谍机构工作,“中国当局确实应该像澳大利亚外长所要求的那样,尽早释放无辜的杨恒均,而且在杨恒均被关押期间遵守国际规范、人道对待杨恒均、尊重杨恒均的律师会见权和其它合法权利”。

Tuesday, November 26, 2019

中国间谍渗透澳洲议会?北京否认指控称“草木皆兵”

澳大利亚总理斯科特·莫里森(Scott Morrison)表示,新曝光的有关中国试图在该国议会中密谋安插间谍的指控“令人深感不安”,但他呼吁民众在调查期间“不要妄下结论”。

莫里森的表态源于澳大利亚媒体周日(11月24日)报道称,一个疑似中国间谍网络被指接触了一名华裔澳大利亚人,让他竞选议员。该男子最后被发现死亡,且死因不详。

这是自称是中国间谍的王立强“叛逃”事件引发争议之际,另一起针对中国间谍行为的指控。

中国外交部周一(11月25日)斥责该指控是谎言,但澳大利亚间谍机构在一份罕见的公开声明中证实,正在调查这些指控。

周日,澳大利亚本地媒体九号电视网(Nine)的《60分钟》(60 Minutes)栏目报道称,疑似中国间谍网络曾与32岁的豪车经销商赵波(Bo ‘Nick’ Zhao,音译)取得联系。

据称,他们给了赵波100万澳元(约合68万美元),资助他竞选墨尔本的议员席位,赵波是执政的自由党成员。澳洲将于今年5月举行大选。

该报道称,赵波去年向澳大利亚安全情报组织(Asio)报告了此事。

今年3月,赵波被发现死于墨尔本一家酒店的客房里,死因至今成谜。

澳大利亚安全情报组织总监迈克·伯吉斯(Mike Burgess)在一份声明中确认了此事:“澳大利亚安全情报组织此前就已获悉今天报道的事件,并一直在积极调查。”

他表示,鉴于“长期以来的惯例”,他不想进一步评论,但他补充称:“外国敌对情报活动持续对整个国家和安全构成真正威胁。”

莫里森表示,他的政府誓将捍卫澳大利亚人的“自由和安全”,但他敦促人们在调查期间不要妄下结论。

“澳大利亚面临更广泛的威胁,对这一点我们并非无知,”他周一对记者表示

澳大利亚议会情报和安全委员会主席安德鲁·哈斯蒂(Andrew Hastie)在接受《60分钟》采访时表示,数月来,他一直对这一“非常、非常令人担忧”的指控有所了解。

“(这)就像间谍小说里的事情,”他说。

中国外交部发言人耿爽周一在记者会上对该指控予以驳斥。他指责澳大利亚的政客和媒体“不断编造所谓的中国间谍案”,并指澳大利亚在有关中国议题上的紧张程度到了“草木皆兵的地步”。

在此次议会间谍指控前,澳大利亚媒体刚报道另一起有关据称是中国间谍“出逃”的案件。

在该独立事件中,一名自称为中国情报机构工作的男子王立强“冒险出逃”,并描述了北京情报机构如何通过“操纵媒体”、“渗透大学”,以干预香港抗议运动和台湾选举。

王立强对澳媒说,他以中国创新投资公司的商人身份做掩护,在香港开展情报工作,并称自己曾参与2015年香港铜锣湾书店老板失踪事件。他还表示,他获得一本假的韩国护照,收到指示前往台北,影响即将到来的台湾总统选举。

但中国官方回应称,王立强是涉嫌诈骗罪的“在逃人员”,其所持的所谓中华人民共和国护照和香港永久居民身份证为伪造证件。

此外,王立强的言论也遭到诸多质疑。台湾军情局前副局长翁衍庆在接受媒体采访时,列出了他认为王立强说法的10项不合理之处,并认为其“根本不是中共谍报人员,而是为了争取在澳洲居留”。

Tuesday, October 22, 2019

الجالية اليهودية المفقودة في السودان

دعوة قدمها وزير في الحكومة السودانية الجديدة لليهود بأن يعودوا إلى بلادهم ويستعيدوا جنسيتهم ألقت الضوء على مجتمع كان مزدهرا ذات يوم رغم صغره، وهو ما دفع راوية التاريخ السودانية ديزي عبود، التي تنحدر هي نفسها من أصول يهودية سودانية، أن تتحدث مع أفراد من هذه الجالية وتجمع منهم الصور التذكارية.

ولا يزال أحد أفراد تلك الجالية ديفيد غابرا يتذكر بدقة تاريخ خروجه من السودان، وقال وهو متيقن تماما إنه كان في "الخامس والعشرين من مايو/أيار عام 1965".

لكن الأمور في ذلك الوقت كانت تتزايد صعوبة وتعقيدا على الجالية اليهودية مع تصاعد النبرة المعادية السامية.

وقال ديفيد: "كانت فوضى... أتذكر يوما أننا دخلنا المنزل وأغلقنا على أنفسنا، وكانوا يقذفوننا ويقذفون منزلنا بالحجارة."

وكان هذا ما دفع ديفيد لأن يقرر أنه لا يمكنه البقاء في البلاد أكثر من ذلك.

وأضاف: "أغلقت متجري (لبيع المنسوجات) عند التاسعة مساء كالمعتاد، وقلت لأصدقائي وجيراني: أراكم في الصباح. ثم توجهت مباشرة إلى المطار واستقللت رحلة إلى اليونان."

ومن هناك توجه إلى إسرائيل.

وكان رحيل ديفيد جزءا من خروج الجالية اليهودية من البلاد التي كان تعدادها يقدر بنحو ألف يهودي.

لكن ذلك العدد تقلص خلال أعوام قليلة إلى بضعة أشخاص فقط في عام 1973، ونجم ذلك عن تغير الوضع السياسي في السودان منذ عام 1956، حيث أدى تصاعد المشاعر المناوئة لإسرائيل لجعل الكثير من اليهود لا يشعرون بالأمان هناك.

وكان ذلك الانخفاض السريع في الأعداد منعكسا عن نمو سريع سبق ذلك بعقود قليلة.

ومع أن غالبية الجالية اليهودية في السودان كانت منحدرة ممن وصلوا إلى البلاد في أوائل القرن العشرين، لكن كان هناك تواجد صغير لليهود في البلاد قبل ذلك.

ففي عام 1908، وصل الحاخام اليهودي مغربي الأصل سلمون ملكا إلى الخرطوم مع زوجته واثنتين من كبرى بناته، وذلك بطلب من القيادة اليهودية في مصر التي كانت مشرفة على الجالية اليهودية التي تقطن جارتها الجنوبية.

وأظهرت صورة عائلية التقطت في أوائل عشرينيات القرن الماضي، الحاخام ملكا وهو يقف إلى جانب زوجته هانا ومحاطا ببعض أبنائه وأحفاده. وكان يرتدي ملابس تقليدية لها علاقة بالمنطقة، منها جبة مفتوحة من الأمام وتحتها رداء يعرف بالقفطان، وكان يفضل ارتداء هذا الزي طيلة حياته رغم أن بقية عائلته والجالية التي ينتمي إليها كانوا يحبذون ارتداء ملابس تميل أكثر إلى النمط الغربي.

وقدم هذا الحاخام إلى السودان لخدمة الجالية الصغيرة الموجودة من ذي قبل، إلى جانب الأعداد المتنامية من اليهود ممن وفدوا على البلاد من دول أخرى في الشرق الأوسط كمصر والعراق وسوريا، ووصلوا على متن قطارات فوق السكة الحديدية التي أنشأها الاستعمار البريطاني والتي تصل الإسكندرية في مصر بالخرطوم في السودان.

وكان الكثير منهم تجارا صغارا يعملون في تجارة المنسوجات واللبان العربي، تلك المادة الغذائية الإضافية مكسبة الطعم التي تصنع من أشجار السنط العربي أو الصمغ الموجودة في السودان. وأقاموا في المناطق المطلة على ضفتي النيل في الخرطوم والخرطوم شمال وأم درمان وود مدني، لتبدأ تجاراتهم تشهد رواجا.

وتوفي الحاخام ملكا عام 1949، واستغرق إيجاد بديل مناسب له سبع سنوات ليخلفه الحاخام مسعود الباز، الذي قدم إلى البلاد من مصر عام 1956.

ويظهر الحاخام الباز في صورة التقطت عام 1965 وسط عائلته قبيل مغادرتهم السودان، وإلى جانبه زوجته ريبيكا وأولاده الخمسة.

وقالت راشيل، كبرى بناته، وهي التي تجلس إلى اليمين في الصورة السابقة: "كان والدي حاخاما بسيطا ومتحضرا جدا. كان محبوبا للغاية، وكان يمزح دائما وهو ما جعل الجميع يحبونه كثيرا."

وكانت الجالية اليهودية في السودان تقليدية للغاية رغم أنها لم تكن مفرطة في التحفظ. فمع أنهم كانوا يحتفلون بالأعياد ويلتزمون بالأحكام اليهودية في الطعام، إلا أن الكثيرين منهم كانوا يعيشون حياة علمانية إلى حد كبير.

ومع نموها، أنشأت الجالية معبدا لها في الخرطوم عام 1926، في شارع يمر بوسط المدينة ويتسع لما يصل إلى 500 فرد، وهو ما كان دليلا واضحا على أنهم أصبحوا يتمتعون باستقرار اقتصادي واجتماعي. وكان يقام في المعبد حفلات الزفاف، مما يشير إلى تأسيس جيل جديد لهذه الجالية.

Tuesday, October 8, 2019

150 лет со дня рождения Махатмы Ганди: от бунтующего юнца до отца нации

В конце 1940-х годов этот миролюбивый, скромно одетый человек смог победить могучую империю. Его имя - Мохандаас Карамчанд Ганди, или Махатма, что означает "Великая душа".

В те времена Индия была частью Британской империи и, соответственно, жила по британским законам.

Талантливый политик, Ганди боролся за независимость Индии и за права обездоленных. Его тактику ненасильственного сопротивления знают и ценят во всем мире.

Мероприятия, посвященные юбилею, прошли на уходящей неделе по всей Индии. Однако наследие Ганди по-прежнему вызывает жаркие споры в этой стране.

После празднований неизвестные выкрали из правительственного здания урну с частью праха Ганди и осквернили плакат с его портретом, оставив надпись на хинди "антинародный".

По случаю 150-летия со дня рождения Ганди Би-би-си рассказывает о семи ключевых этапах его жизни.

Мохандас Карамчанд Ганди родился 2 октября 1869 года на северо-западе Индии в городе Порбандар, бывшей столице одноименного княжества.

Его семья происходила из касты торговцев - не самой высокой в индийском обществе того времени, но отец Махатмы занимал пост первого министра Порбандара.

Огромное влияние на молодого Ганди оказала его мать Путлибай. Она была очень набожной женщиной и прививала сыну любовь и уважение к основам индуизма.

В доме Ганди строго придерживались принципов вегетарианства, религиозной терпимости, самоотречения и отрицания насилия.

В подростковом возрасте Ганди восстал против строгих религиозных верований семьи: он начал есть мясо и даже посетил публичный дом, хотя, по его словам, там ничего не произошло.

"Я попался в лапы греха, но Бог по своему бескрайнему милосердию защитил меня от меня самого", - писал он позже.

При этом юноше хотелось самосовершенствоваться, и после каждого греха он каялся. Когда его отец был при смерти, Ганди удалился от его постели ради секса с женой и пропустил сам момент смерти родителя.

Monday, September 30, 2019

Дело Атамбаева: от мечети до "Апреля". В чем обвиняют экс-президента Кыргызстана

Арестованному экс-президенту Кыргызстана Алмазбеку Атамбаеву предъявлены обвинения по 14 пунктам - от превышения полномочий и незаконного обогащения до убийства, захвата заложников и организации массовых беспорядков. Прокуратура арестовала почти всё имущество бывшего президента и его родственников, включая собственность оппозиционного телеканала "Апрель" и мечети, построенной Атамбаевым.

Сторонники бывшего президента считают, что всё происходящее не имеет отношение к правосудию, а служит попыткой лишить Атамбаева ресурсов для участия в политике. В прокуратуре заявляют, что все ограничения необходимы, так как речь идет о серьезных преступлениях.

По уточненным данным генпрокуратуры, в результате попытки штурма дома Атамбаева в Кой-Таше и сопровождавших операцию беспорядков пострадали 175 человек. Большинство из обратившихся за медицинской помощью - сотрудники правоохранительных органов. Один спецназовец погиб.

Сергей Слесарев, адвокат экс-президента, заявлял, что обвинения ничем не подкреплены. Однако все жалобы защитников Атамбаева на неправомерность действий органов МВД были отклонены. Бывший президент будет находиться под стражей по меньшей мере до 26 октября.

Попавшие в СМИ списки разнообразной собственности бывшего президента - от пяти подержанных автомобилей (самому новому из которых 18 лет) до многочисленной недвижимости и банковских счетов - вызвали много пересудов и критики.

Список был столь обширным, что представителям генпрокуратуры приходилось периодически объяснять какие-то свои действия. А под раздачу попали и совершенно случайные люди.

Так получилось, например, с сообщениями об аресте мечети "Героев 7 апреля" (речь идет о погибших в апреле 2010 года в ходе протестов, приведших в итоге к отставке и бегству из страны президента Курманбека Бакиева). Пресс-служба генпрокуратуры поспешила опровергнуть эту информацию, разъяснив, что мечеть продолжает работать, а следствие лишь устанавливает, на какие деньги Алмазбек Атамбаев построил мечеть.

Monday, September 23, 2019

Приложение what3words спасает жизни и вызывает споры

Спасателям удалось помощь женщине, упавшей неподалеку от базового лагеря на Эвересте. Также были спасены бизнесмен, оказавшийся в центре нападения террористов в Сомали, и дайвер на Мальдивах. Все это из-за трех простых слов.

Приложение what3words разделяет весь мир на квадраты три на три метра. У каждого квадрата свой собственный "адрес" состоящий из всего трех слов, что помогает спасательным службам быстро найти конкретное место, где находится человек, которому нужна помощь.

Но это приложение, поначалу вызвавшее восторг, теперь вызывает разногласия. Многие спрашивают - почему спасательные службы все больше и больше зависят от технологии частной компании.

What3words базируется в Лондоне. Компания была основана Крисом Шелдриком в 2013 году, так как ему надоело постоянно подробно объяснять другим, где нужно встретиться.

В итоге в Великобритании уже 60 спасательных служб применяют эту технологию.

Разработчики поделили карту мира на 57 триллионов квадратов размером 3х3 метра. Каждый квадрат обозначен тремя случайными словами, комбинации могут быть самые неожиданные.

Достаточно войти в приложение, нажать на экране квадрат, в котором вы находитесь (сверху тут же появится комбинация из трех слов), и через кнопку "поделиться" отправить эту информацию через другие приложения, например, "Фейсбук".

Люди сразу увидят, где вы, и придут на помощь. В Британии благодаря приложению были спасены уже несколько человек, и полиция настоятельно рекомендует пользователям смартфонов установить what3words.

Компания также сообщила, что начинает сотрудничать с производителями автомобилей в Индии и Китае, а также с компанией, занимающейся спасением людей от лица страховых фирм.